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त्रिफला तीन फलों से मिलकर बनता है। इन फलों में आते है आंवला (एम्ब्लिका ऑफिसिनैलिस), बिभीतकी या बहेड़ा (टर्मिनलिया बेलिरिका), हरीतकी या हरड़ (टर्मिनलिया चेबुला) त्रिफला नाम का मतलब होता है "तीन फल" (त्रि = तीन और फला = फल)। आयुर्वेद में त्रिफला का उपयोग शारीरिक स्वास्थ्य को ठीक रखने और जीवन शक्ति को बनाए रखने के लिए किया जाता है। यह बीमारियों को कम करने के लिए भी बहुत प्रभावी है।
त्रिफला चूर्ण को इन जड़ी बूटियों के मिश्रण से बनाया जाता है।
आंवला (एम्ब्लिका ऑफिसिनैलिस) - आंवला विटामिन सी का मुख्य स्त्रोत होता है। इसमें संक्रमण से लड़ने, अच्छे आंत स्वास्थ्य को बनाए रखने, कब्ज से बचने और एंटी-एजिंग के रूप में कार्य करने के गुण होते है। आंवला का उपयोग पुरे भारत में किया जाता है। रोगों को मिटाने के अलावा यह भारतीय व्यंजन में भी इस्तेमाल होता है। आंवले का मुरब्बा, कैंडी और सुपारी बनाकर इसे खाते है। आंवला खनिजों से भरपूर होता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर, खनिज भी अच्छी मात्रा में पाए जाते है।
बहेड़ा (टर्मिनलिया बेलिरिका) - यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला पौधा है। बहेड़ा के फल में बहुत सारे जैविक यौगिक जैसे: ग्लूकोसाइड, गैलिक एसिड, एथिल गैलेट, टैनिन आदि पाए जाते है। आयुर्वेद में एक त्रिफला चूर्ण का ज्वरनाशक, एंटीऑक्सिडेंट, श्वसन समस्याओं, हेपेटोप्रोटेक्टिव (यकृत के लिए अच्छा) का उपचार करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
हरड़ (टर्मिनलिया चेबुला) - यह आयुर्वेद की सबसे मुख्य जड़ी-बूटी में से एक है। इसे पेट, लीवर, हृदय और मूत्राशय के स्वास्थ्य को बनाये रखने में प्रयोग किया जाता है। इसमें एंटी-एजिंग, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट के गुण होते हैं।
त्रिफला चूर्ण के फायदे ( Triphala Churna Ke Fayde in Hindi )
१. चर्म रोग
त्रिफला चर्म रोग की समस्याओं को खत्म कर उन्हें पूरी तरह से ठीक कर देता है। अगर किसी को दाद, फोड़े-फुन्सी, खाज, खुजली है तो इसे ठीक करने के लिए ६ से ८ ग्राम त्रिफला चूर्ण का रोज सेवन करे इससे लाभ होता है त्रिफला बेहद प्रभावशाली है।
२. आंखों के लिए
ग्लूकोमा और मोतियाबिंद की बिमारियों के लक्षणों को कम करने में त्रिफला फायदेमंद है। अपनी कमजोर दृष्टि में सुधार पाने के लिए त्रिफला का नियमित रूप से सेवन करें। यह कमजोर दृष्टि में सुधार कर दृष्टि को तेज बनाता है। त्रिफला घृत नामक आयुर्वेदिक दवा को आंखों की सबसे अच्छी दवाओं में गिना जाता है। आंखों के लिए त्रिफला के कई लाभकारी प्रभाव है।
३. गठिया विरोधी के रूप में
त्रिफला में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है। इन गुणों के कारण गठिया से संबंधित लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।
४. दांतों के लिए
त्रिफला के एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट और रोगाणुरोधी गुण दातों से जुड़ी समस्या को कम करते है। अगर आपके दांत स्वस्थ्य होंगे तो दांत स्वस्थ शरीर को बनाये रखने में मदद मिलेगी। त्रिफला मसूड़ों की सूजन को ठीक करता है, दांतों में प्लाक बिल्डअप को धीमा करने में भी त्रिफला बहुत प्रभावी है।
५. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं
अगर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है तो बिमारियों को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। त्रिफला रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। अगर आपको कमजोरी रहती है तो इसका सेवन करे इससे शरीर को बिमारियों से लड़ने की शक्ति मिलेगी। लेकिन इसके लिए वर्षों तक इसका सेवन करना होता है तब इसके यह लाभ मिलते है।
६. ब्लड प्रेशर नियंत्रण
ब्लड प्रेशर से संबंधित समस्या वाले लोगों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए त्रिफला का सेवन सूजन को कम करने में मदद प्रदान करता है नमक के संपर्क में रहने वाली ब्लड वेसल्स ज्यादातर सीकुड़ जाती है। इसकी वजह से खून का बहाव तेज हो जाता है। त्रिफला का सेवन सूजन कम करता है और ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखता है।